गांधारी को वेदव्यास ने पुत्रवती होने का वरदान दिया था|लेकिन जब 2 साल तक संतान नहीं हुआ तो गांधारी ने अपने गर्भ मुक्का मार नष्ट कर दिया | इस पर व्यास बेहद नाराज़ हुए और उन्होनें गांधारी से कहा की वह 100 कुंड तैयार करे जिनमें घी भर दिया |फिर उन्होनें गांधारी के गर्भ के टुकड़े कर उन्होनें एक एक कुंड में डाल दिया | आदेश दिया की इन कुंदों को दो साल बाद खोला जाए | जब दो साल बाद कुंड खुले तो पहले में से दुर्योधन और आखिरी में से दुशाला बाहर निकलीं |