फूलन देवी एक डाकू थी जिन्होनें बाद में राजनीती में कदम रखा था |अपने गुनाह भरी जिंदगी से उन्हें 1983 में आत्मसमर्पण कर दिया | इसके बाद 1994 में समाजवादी पार्टी ने उनके खिलाफ सभी इलजाम वापस ले लिए |इसके बाद वह संसद के सदस्य के तौर पर दो बार मिर्ज़ापुर से चुनाव जीती |लेकिन 2001 में विपक्षी डाकुओं के गुट ने उनसे बदला लेने के लिए उन्हें गोली मार दी |1994 की फिल्म बैंडिट क्वीन उनकी जिंदगी पर आधारित है |