शुरुआती बोद्ध ग्रंथों समन्फाल सुत्ता इस मन से शरीर के निर्माण की कला को मननशील जीवन का फल बताते हैं |पतिसम्भिदामग्गा और विसुद्धिमग्गा के हिसाब से इसी कला की मदद से बुध और उनके शिष्य बोधि काल में शरीर छोड़ स्वर्ग की यात्रा कर पाते थे |दिव्यवदना के मुताबिक इसी कला की सहायता से बुद्ध ने अपने शरीर को कई भागों में बाँट लिया था |वह इतने सारे बुद्ध के स्वरुप फिर आकाश में अपनी छटा बिखेरने लगे थे |