पश्चिमी सभ्यता ने इसी धारणा को जादू की प्रथा से जोड़ा है |विलियम वॉकर अत्किन्सन ने इन थॉट फॉर्म्स को लोगों से निकलने वाली उर्जा का नतीजा बताया |उन्होनें अपनी किताबों में ये भी बताया की कैसे अनुभवी प्रचारक अपनी उर्जा से ऐसे रूपों को जन्म देते हैं जो की उनके स्वयं के स्वरुप से बिलकुल भिन्न हों |एनी बसंत ने भी अपनी किताब थॉट फॉर्म्स में इनको तीन गुटों में बांटा | एक उस व्यक्ति का स्वरुप जिसने इन्हें बनाया है ,दूसरा किसी और वस्तु या व्यक्ति जैसा और तीसरा जो भावनाओं की अभिव्यक्ति होते हैं |