रामायण काल में जब श्री राम को लंका जाना था तो उन्होनें हाथ जोड़ मदद के लिए सभी देवताओं का आह्वान किया | इनमें से एक वरुण देव भी थे |उनसे श्री राम ने पार जाने का रास्ता पुछा लेकिन वरुण ने जवाब नहीं दिया | इस पर श्री राम ने क्रोधित हो समुद्र को सुखाने के लिए धनुष उठा लिया | वरुण ने क्षमा मांगते हुए उन्हें ये बताया की उनके गुट में शामिल नल नील यदि पत्थर पानी में डालेंगे तो वह पत्थर तैरने लगेंगे और इस तरह पुल बन जायेगा |वाल्मीकि रामायण के मुताबिक ये पुल 5 दिनों में बन गया था और उसकी लम्बाई 100 योजन और चौड़ाई 10 योजन थी |इस पुल का नाम नल पुल रखा गया क्यूंकि इसे बनाने में विश्वकर्मा के पुत्र नल का विशेष योगदान रहा |