ओक के मुताबिक बादशाहनामा नाम की किताब में लिखा है की राजा जयसिंह से अकबर ने बड़े गुम्बद वाला एक विशाल भवन लिया था सिर्फ मुमताज़ को दफ़नाने के लिए |सन 1662 में औरंगजेब ने बादशाह को चिट्ठी लिखी की जहाँ मुमताज़ को दफनाया गया वह ईमारत इतनी पुरानी हो चुकी है की उसमें पानी अन्दर चूने लगा है | ऐसे में बादशाह ने उन्हें वहां की मरम्मत करने के आदेश दिया | अगर ये ईमारत शाहजहाँ ने बनवाई होती तो उसे इसकी इतनी जल्दी मरम्मत करने की ज़रुरत नहीं पड़ती |ऐसा भी बताया जाता है की राजा जय सिंह को अकबर ने दो आदेश भेजे थे ये ईमारत उन्हें सौंपने के लिए और ये दोनों आदेश आज भी जयसिंह के दस्तावेजों में शामिल है |