भारतीय वेदों ने सदेव एक इश्वर वाद का समर्थन किया है |लेकिन समय के साथ इश्वर के स्वरूपों में फर्क आ गया |वैदिक काल में सिर्फ इश्वर से प्रार्थना होती थी | लेकिन उसके बाद पांच तत्वों की और फिर इंद्र आदि देवताओं की | इसके बाद लोगों ने शिव ,ब्रह्मा और विष्णु का पूजन करना शुरू किया |इसके बाद राम और कृष्ण के मंदिर बनने लगे और लोगों ने उनका पूजन शुरू कर दिया | पर किसी भी वेद में कहीं नहीं लिखा है की किस को भगवान मानना चाहिए |आजकल के समय में लोग काफी भयभीत रहते हैं तो लोगों कई हनुमान और शनि देव के मंदिर बना डाले हैं | लेकिन सत्य ये है की ऐसा करना वेदों के खिलाफ है |