ये उस समय की बात है जब देवी देवता पृथ्वी पर विचरण करते थे | ऐसे में कुरु राजा प्रतीप गंगा किनारे पुत्र की कामना से तपस्या कर रहे थे | ऐसे में गंगा की नज़र उन पर पड़ी | उन पर मोहित हो गंगा उनकी दाहिनी जंघा पर बैठ गयीं | प्रतीप ने जब आँखें खोलीं और उनसे ऐसा करने का कारण पुछा तो गंगा ने उन्हें बताया की वह उनसे विवाह करना चाहती है | ऐसे में प्रतीप ने उन्हें बताया की वो उनकी दाहिने अंग पर बैठी हैं जिस कारण वह उन्हें पत्नी की तरह नहीं पुत्र वधु के रूप में स्वीकार कर सकते |ये सुन गंगा वहां से चली गयी | जब प्रतीप के पुत्र शांतनु का जन्म हुआ तो प्रतीप को गंगा से विवाह की बात याद आई |