इंद्र के पास मिलने वाली मणि को स्यमंतक मणि के नाम से जाना जाता है | ऐसा भी कहते हैं की कोहिनूर हीरा जी स्यमंतक मणि है | भगवान कृष्ण ने इस मणि को हासिल करने के लिए युद्ध किया था |ये मणि कृष्ण की पत्नी सत्यभामा के पिता के पास थी | उन्होनें इसे पाने मंदिर में रखा था | वहां से उनका भाई प्रसेनजीत उसे पहन एक दिन आखेट के लिए चला गया | लेकिन भाग्यवश जंगल में एक शेर ने उन्ह्हें और उनके घोड़े को खा लिया और मणि अपने पास रख ली | जाम्ब्वंत्जी ने जब ये देखा तो मणि स्वयं ग्रहण कर ली | इधर मणि की चोरी का आरोप कृष्ण पर लगा तो वह उसे हासिल करने के लिए जाम्ब्वंत्जी से लड़ने पहुंचे | जाम्बवंत ने हारते समय श्री राम को पुकारा तो कृष्ण राम के रूप में सामने आये |जाम्बवंत ने भूल स्वीकार मणि कृष्ण को वापस कर दी | लेकिन श्री कृष्ण ने इस मणि को श्री अक्रूर को दे दिया |