सिवरी किला ब्रिटिशों द्वारा सिवरी शहर में बनाया गया था। १६८० में एक उत्खनित पहाड़ी पर मुंबई बंदरगाह पर नजर रखने हेतु एक पहरे की मीनार के तौर बनाया गया था।
अठारहवीं सदी तक, मुंबई में कई छोटे द्वीप शामिल थे। १६६१ में इन में से सात द्वीप पुर्तगालियों ने इंग्लैड के राजा चार्ल्स तृतीय को दहेज़ के रूप में सौंप दिए गए थे । यह बंदरगाह उत्कृष्ट रूप में योग्य था, इसलिए अंग्रेजो ने सूरत से अपना तल यहाँ बदलने की योजना बनाई। अफ्रीका से आये हुए सिद्दियों ने जाना के उनकी नौसेना ने मुग़लों से अच्छे सम्बन्ध बनाये। ईस्ट इंडिया कंपनी से ब्रिटिश और मुग़ल के बिच लगातार युद्ध चालू था। मुग़लों के साथ अच्छे सम्बन्ध रहने के कारन सिद्दियों ने भी ब्रिटिशों को अपना दुश्मन माना।
१६७२ में सिद्दियों द्वारा निर्दयी हमलो के बाद, अंग्रेज़ों ने कई जगह से किलेबंदी की, और १६८० में सिवरी किले का काम पूरा हो गया। यह मझगाँव द्वीप पर खड़ा था, पूर्वी समुद्र तट पर नजर रखे हुए। यह ५० सिपाहियों की एक चौकी थी और एक सूबेदार प्रबंधित किया गया था, यह आठ से दस तोपों के साथ लैस था।
१६८९ में सिद्दी जनरल याकूत खान ने २०,००० सिपाहियों की सेन लेकर बॉम्बे पर हमल किया। पहले बेड़े ने सिवरी किले कब्ज़ा किया, फिर मझगाँव किला, फिर माहिम के शहर को बर्खास्त किया। बाद में १७७२ में किले एक युद्ध में भी शामिल था जिसमे पुर्तगाली हमलो को पीछे हटाया गया।
क्षेत्रीय शक्तियों की गिरावट के बाद, किले बाद को में कैदियों के घर लिए इस्तेमाल किया गया था।
किले के मुख्य रूप से रक्षा के लिए बनाया गया, इसलिए अलंकरण और आभूषण अनुपस्थित रहे हैं। इसे ऊँची पत्थर की दीवारों से सीमांत किया गया है, और एक आतंरिक रिंग भी अधिक सुरक्षा के लिए बनायीं है। यह तीन पक्षों पर घिरा है, और एक ६० मीटर (१९७ फ़ीट) की सरासर चट्टान पन मौजूद है। प्रवेश द्वार एक पत्थर द्वार है जो कि आंगन में ले जाता है। सामने के दरवाजे से हमले से बचने के लिए, भीतरी प्रवेश द्वार मुख्य प्रवेश द्वार को सीधा रखा गया।
एक लंबे गुंबददार गलियारे के साथ पंचकोना कमरे और रैखिक गुंबददार संरचनाएँ यह इस वास्तु की विशेषताएँ है।
किला वर्तमान में पुरातत्व व संग्रहालय के महाराष्ट्र राज्य के विभाग द्वारा स्वामित्व में है। इसे एक ग्रेड वन विरासत संरचना के रूप में वर्गीकृत किया गया है, और 'मुम्बई फोर्ट सर्किट' परियोजना के तहत इस किले को बहाल करने के प्रयास शुरू है।
मरम्मत में दो क्षेत्र शामिल है। पहले क्षत्र में किले के मध्यम हिस्से शामिल है। दहति दीवारे ठीक करनी है, मलबा साफ़ करना है, छतों का पुनर्निर्माण, सीढ़ियों की मरम्मत और उद्यान परिसर का पुनःनिर्माण इत्यादि। एक संग्रहालय भी बनाया जाने वाला है। दूसरे क्षत्र की मरम्मत में आस पास के वो इलाके शामिल है जो मुम्बई पोर्ट ट्रस्ट के तहत आते है। इसमें, एक पानी की सैर करने की सुविधा बनायीं जाने वाली है जो किले और तट के बीच संबंध बनाती है, एक परिदृश्य उद्यान, फ़ूड कोर्ट, और एक रंग भूमि बनायीं जाने वाली है। २००८ में इस परियोजना की अनुमानित रकम ३६.५ मिलियन रुपये (५४२,००० अमेरिकी डॉलर) है। किले का रणनीतिक ठिकान पक्षीविज्ञान को भी बढ़ावा देता है, क्योंकि यहाँ से सिवरी के मिट्टी के तल दीखते है, जहा प्रवासी पक्षी अक्सर आते रहते है, विशेष रूप से राजहंस पक्षी।