त्रेता युग में श्री राम और लक्षमण नाग पाश में बंध जाते हैं | ऐसे में गरुड़ को इन बंधनों को खोलने के लिए बुलाया जाता है |गरुड़ पाश को काट कर खोल देते हैं लेकिन उन्हें श्री राम के भगवान होने की बात पर संदेह हो जाता है |उनके इस संदेह को दूर करने के लिए नारद उन्हें ब्रह्मा के पास भेजते हैं |ब्रह्माजी उन्हें शिव के बॉस और शिव उन्हें काकभुशुण्डिजी नाम के एक कौवे के पास भेज देते हैं |अंत में काकभुशुण्डिजी उन्हें श्री राम का चरित्र सुना उनकी दुविधा को दूर करते हैं |