भगवान विष्णु ने श्री राम और कृष्ण के रूप में अवतार लिया था | उनके कई भक्तों में से गरुड़, सत्यभामा और सुदर्शन चक्र को अपनी तेज़ी,सुन्दरता और शक्ति के ऊपर गर्व हो रहा था |एक दिन भगवान को इस बात की भनक लग गयी | उन्होनें इनका अभिमान नष्ट करने के लिए गरुड़ से कहा की जाओ और हनुमान से कहो की श्री राम और सीता उनसे मिलना चाहते हैं |गरुड़ जल्द ही उड़कर हनुमान के पास पहुंचे | सन्देश मिलने पर हनुमान ने उनसे कहा की वह आ जायेंगे | गरुड़ ने कहा की में श्रीघता से पहुंचा दूंगा तो हनुमान बोले की तुम चलो में आ जाऊँगा | गरुड़ घमंड में वापस चले गए लेकिन जब पहुंचे तो देखा की हनुमान वहां पहले ही आ चुके थे | ये देख उनका गरूर नष्ट हो गया |
इधर श्री कृष्ण ने पुछा की हनुमान तुम्हें दरवाज़े पर किसी ने नहीं रोका तो सुदर्शन चक्र को मुंह से निकाल कर वह कहने लगे की इस ने रोका था लेकिन में तब भी अन्दर आ गया | इस तरह सुदर्शन चक्र का गरूर भी नष्ट हो गया | हनुमान फिर बोले की प्रभु देवी सीता के साथ तो आपको देखा है आज आप किस दासी के साथ बैठे हैं | ये सुन सत्यभामा का भी सारा घमंड खत्म हो गया |