इस जीवन में ये अति ज़रूरी है की हम अपने दोस्तों और दुश्मनों की पहचान करना सीख लें | इस युद्ध में कौन किस का दोस्त था और कौन दुशमन ये कह पाना बेहद कठिन था | भीष्म ,विदुर इत्यादि थे तो कौरव गुट में लेकिन जीत के लिए सलाह पांडवों को देते थे | इसके इलावा शल्य और युयुत्सु इत्यादि आखिरी समय में अपना पाला बदल विपरीत गुट में चले गए थे | दुनिया में किसी पर भी विश्वास करने से पहले कई बार सोच लें | ज़रूरी नहीं की जो दोस्त बनके सामने आया वो निश्चित तौर पर आपका हित चाहता है इसलिए सावधान रहे |
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