सत्राजित नाम का एक यादव था जो सूर्य देव का भक्त था | उसकी भक्ति से प्रसन्न हो सूर्य देव ने उसे एक मणि भेंट में दी | ये मणि कृष्ण ने उसे राजा उग्रसेन को भेंट करने के लिए कहा लेकिन सत्राजित ने मना कर दिया | एक दिन सत्राजित का भाई मणि धारण कर जंगल चला गया | जंगल में एक शेर ने उसे मार वह मणि उससे चुरा ली | क्रिक्ष राज जाम्बवंत ने शेर को मार वह मणि हासिल कर अपनी गुफा में छिपा लिया | सत्राजित ने मणि खोने का इलज़ाम कृष्ण पर लगा दिया | अपने ऊपर लगे इस दाग को धोने के लिए कृष्ण जंगल में पहुंचे | मणि के तेज़ को देख वह उस गुफा में भीतर पहुंचे | वहां दोनों के बीच में भयंकर युद्ध हुआ लेकिन जब जाम्बवंत को पता चला की कृष्ण विष्णु अवतार हैं उन्होनें उनसे क्षमा मांगी | न सिर्फ उन्होनें मणि कृष्ण को सौंप दी बल्कि प्रायश्चित के लिए अपनी पुत्री जाम्बवंती का विवाह कृष्ण से करवा दिया |