उज्जैनी की राजकुमारी मित्रविन्दा का स्वयंवर रचा गया | इस स्वयंवर में वह जिसका भी चुनाव करेगी उसका विवाह उसी से होगा |उस स्वयंवर में श्री कृष्ण भी पहुंचे | वैसे तो मित्रविन्दा श्री कृष्ण से ही विवाह करना चाहती थी लेकिन उसका भाई विंद दुर्योधन का दोस्त था | ऐसे में उसने बल पूर्वक मित्रविन्दा को कृष्ण का चुनाव करने से मना कर दिया | कृष्ण को ये बात पता चली तो उन्होनें मित्रविन्दा का हरण कर लिया | द्वारका पहुँच कृष्ण ने मित्रविन्दा से फिर विवाह किया |