भगवान महावीर तीर्थंकरों के सबसे आखरी तीर्थंकर थे |उनका जन्म का नाम वर्धमान थे और उनके पूर्वज पार्श्वनाथ समुदाय से आये थे |वर्धमान के एक बड़े भाई और बहन थे | उनका शुरुआती बचपन राजमहल में गुज़रा और उन्हें 8 वर्ष की आयु में पढने के लिए शिल्प शाला भेज दिया गया |जब वह 28 वर्ष के हुए तो उनके माता पिता का देहांत हो गया | उनके बढे भाई ने उनसे घर पर रहने को कहा | लेकिन 2 साल बाद 30 वर्ष की आयु में वह घर छोड़ के चले गए और उन्होनें पूर्ण रूप से वैराग्य अपना लिया |12 साल तक उन्होनें गहन तपस्या की जिसके बाद उन्हें कल्प ज्ञान की प्राप्ति हुई |
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