मरियम की कोख से जन्म लेने वाले येशु मसीह 12 साल की उम्र से ही ज्ञान की बातें करने लगे थे | बाइबिल में उनकी 13 से 29 साल की उम्र की बातों का कोई ज़िक्र नहीं मिलता है | 30 वर्ष की उम्र में उन्होनें दीक्षा ली और उसके बाद वह लोगों में ज्ञान बांटने लगे |इसके पश्चात वह जेरूसलम पहुंचे जहाँ उनके विरोधियों ने उनके खिलाफ साज़िश रच उन्हें सूली पर चड़ा दिया | उस समय उनकी उम्र 33 वर्ष थी |बी बी सी ने हाल ही में उनकी समाधी श्रीनगर के पुराने शहर की एक रोज़बल नाम की ईमारत में होने का दावा किया है | आधिकारिक तौर पर यह मजार एक मध्यकालीन मुस्लिम उपदेशक यूजा आसफ का मकबरा है, लेकिन कई लोग यह मानते हैं कि यह नजारेथ के यीशु यानी ईसा मसीह का मकबरा या मजार है।