विदुर पिछले जन्म में विदुर को मंडूक ऋषि से श्राप मिला था | दरअसल उन्होनें धोखे से कई लोगों का क़त्ल कर दिया था | ऐसे में ऋषि ने उन्हें श्राप दिया की वह अगले जन्म में शुद्र परिवार में जन्म लेंगे | जब हस्तिनापुर का सिंहासन बिना वारिस के रह गया तो महारानी सत्यवती ने अपने पुत्र वेदव्यास से मदद मांगी | उन्होनें कहा की दोनों रानियों को एक एक कर उके पास भेजा जाए | पहली रानी ने व्यास को देख आँखें बंद कर ली इसीलिए उनका पुत्र नेत्रहीन हुआ | दूसरी रानी उन्हें देख कर बेहोश हो गयी इसलिए उनका पुत्र कमज़ोर पैदा हुआ | तीसरी बार दोनों रानियाँ अपनी जगह एक दासी को भेज देती हैं | वह दासी पुत्र ही विदुर थे | सबसे पहले पैदा होने के बावजूद उन्हें सिंहासन नही मिलता क्यूंकि वह एक दासी पुत्र थे |