एकलव्य कृष्ण के चाचा देवश्रवा के पुत्र थे | वह धनुर विद्या सीखना चाहते थे | जब उन्होनें गुरु द्रोणाचार्य से मदद मांगी तो उन्होनें ये कह मना कर दिया की वह नीच जाती के हैं | एकलव्य ने फिर अपने गुरु की मूर्ति बना उसके सामने अभ्यास करना शुरू किया और जल्द ही अर्जुन से बेहतर धनुर्धर बन गया | ये देख गुरु द्रोण ने उससे गुरु दक्षिणा में उसका हाथ का अंगूठा मांग लिया | जब कृष्ण रुक्मिणी स्वयंवर के दौरान वहां से जा रहे थे तो अपने पिता की रक्षा करते हुए एकलव्य की मौत हो गयी | तब कृष्ण ने उन्हें फिर जन्म ले द्रोणाचार्य से बदला लेने का आशीर्वाद दिया | अगले जन्म में वह द्रुपद पुत्र दृष्टद्युम्न की तरह पैदा हुए और उन्होनें द्रोणाचार्य की हत्या कर अपने साथ हुए गलत का बदला लिया |