कुम्भकरण ने भी अपने भाइयों की तरह बहुत कठिन तपस्या की | यहाँ तक की उसकी तपस्या देख देवी देवता सब परेशान हो गया | सबने मिलकर देवी सरस्वती से मदद मांगी | जब वरदान मांगने का समय आया तो देवी सरस्वती कुम्भकरण की जिव्हा पर विराजमान हो गयी | इसलिए जब उसने इन्द्रासन कहना चाहा तो मुंह से निकला निद्रासन | इस कारण से कुम्भकरण साल में 6 महीने तक सोता रहता था |