दस्ग्रीव ने सबसे ज्यादा कठिन तपस्या की | वह हर 1000 साल की तपस्या के बाद अपना एक शीश शिवजी के चरणों में अर्पित करता था | अंत में 10000 साल के बाद जब उसने अपना दंसवा सर भी प्रभु को अर्पित कर दिया तो भगवान से उससे वरदान मांगने को कहा | दसग्रीव ने कहा देव दानव गंधर्व किन्नर कोई भी उसका वध न कर सके वो मनुष्य और जानवरों को कीड़ों की भांति तुच्छ समझता था इसलिये वरदान मे उसने इनको छोड़ दिया| इसी कारण से विष्णु भगवान को मनुष्य का जन्म ले उसका वध करना पड़ा | इसके बाद दस्ग्रीव अपने को सर्वशक्तिमान मानने लगा और बाकि राक्षस भी रसातल से बाहर आ गए | और दैत्यों के कहने पर दस्ग्रीव ने कुबेर से लंका छींन ली और साथ में पुष्पक विमान भी हथिया लिया |