ऐसा बताया जाता है की प्रताप एक ही वार से अपने दुश्मनों के दो टुकड़े कर देते थे |यहाँ तक की हल्दी घाटी के युद्ध में उन्होनें इस प्रकार वार किया की बहलोल खां और उसके घोड़े दोनों के दो टुकड़े हो गए |
आप सोच रहे होंगे की प्रताप दो तलवारें क्यूँ लेकर चलते थे | ये सलाह उनकी माँ जयवंता बाई ने दी थी | दरअसल ये दूसरी तलवार उनके दुश्मन के लिए होती थी | कभी जब उनका सामना किसी निहत्थे दुश्मन से होता था तो वह अपनी तलवार उसे दे बराबरी का मुकाबला करने में विश्वास रखते थे |