सभी ग्रंथों में यज्ञ की महिमा बताई गयी है | ब्रह्मा ने मनुष्य के साथ मिलकर यज्ञ की शुरुआत की और ये भी बताया की जीवन में सफलता के लिए यज्ञ ही एक महत्वपूर्ण तरीका है |इसके इलावा धन प्राप्ति, कर्मों के प्रायश्चित, अनिष्ट को रोकने के लिए, दुर्भाग्य को सौभाग्य में बदलने के लिए, रोगों के निवारण के लिए यज्ञ कराया जा सकता है |गायत्री उपासना के लिए यज्ञ कराना ज़रूरी है | गायत्री को माँ और यज्ञ को पिता का दर्जा दिया गया है |