ब्रह्मवैवर्त पुराण में एक अलग ही गाथा बताई गयी है | उसके मुताबिक माता पार्वती को एक पुत्र की इच्छा थी | इसके लिए उन्होनें पुण्यक नाम का एक व्रत रखा | इस व्रत के फलस्वरूप श्री कृष्ण ने स्वयं गणेश के रूप में उनका पुत्र बनना स्वीकार किया | ब्रह्मवैवर्त पुराण में ही एक कथा के मुताबिक जब सभी देवता गणेश को आशीर्वाद देने आये थे तब शनि देव भी आये थे | लेकिन वह नज़र झुकाए एक कोने में खड़े रहे | जब माता पार्वती ने ऐसा करने का कारण पुछा तो वह बोले की मेने यदि आपके पुत्र को देखा तो उसका अहित हो सकता है | लेकिन देवी नहीं मानी उन्होंने शनि से नज़र ऊपर करने को कहा | उनके ऐसा करने पर गणेश का सर धड से अलग हो गया |


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