इसके पश्चात विष्णु जल्दी ही गरुड़ पर सवार हो उत्तर दिशा को गए | वहां एक हथिनी को पुष्पभद्रा नदी के तट पर अपने बच्चे के साथ सोते देखा | ऐसे में विष्णु ने उस बालक का मस्तक काट लिया | इसी मस्तक को लाकर फिर गणेश के सर पर स्थापित किया |

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