तुलसीदास द्वारा रचित श्रीराम चरित मानस में ये बताया गया है की श्री राम मिथिला सीता के स्वयंवर के लिए पहुंचे थे |जैसे ही उन्होनें शिव का धनुष उठाया वैसे ही प्रत्यंचा टूट गयी और राम को स्वयंवर का विजेता घोषित कर दिया गया | लेकिन वाल्मीकि रामायण के मुताबिक कुछ अलग ही हुआ था |उसके मुताबिक विश्वमित्र स्वयं राम और लक्ष्मण को लेकर मिथिला पहुंचे थे | उन्होनें जनक से शिव धनुष राम को दिखाने को कहा तो खेल खेल में वह धनुष उनसे टूट गया |क्यूंकि जनक ने प्रण लिया था की जो धनुष तोड़ेगा उससे सीता का विवाह होगा इसलिए उन्होनें सीता का हाथ राम के हाथ में दे दिया|

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