जिस तरह से किसी को देहाग्नी देने के बाद हम पीछे मुढ कर नहीं देखते हैं वैसे ही मंदिर में जो भी फूल चढ़ते  हैं उनको भी परिसर के पीछे वाले हिस्से में डाल दिया जाता है |ये फूल तैरते हुए फिर मंदिर से 20 किलोमीटर दूर वेर्पेदु नाम के स्थान पर तैरते हुए देखा जा सकता है |ऐसा करने अशुभ माना जाता है इसलिए पुजारी इन फूलों को नहीं देखते हैं |

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