1800 के करीब ये मंदिर 12 साल के लिए बंद कर दिया गया था | इस दौरान एक क्रूर राजा ने एक बार यहाँ 12 लोगों को सजा दी | उन्हें मार कर उनके शवों को उसने मंदिर के आँगन में टांग दिया था | ऐसी कथा है की क्रोध में श्री बालाजी वेंकटेश्वर ने उसी समय प्रकट हो उस राजा को उसकी करनी की सजा दे दी थी |