तिरुमाला पहाड़ों की शुरुआत में ही एक मुख्य द्वार है जो देखने में सर्प के मुख जैसा लगता है |ऐसा और कहीं देखने को नहीं मिलता है | ऐसा कहते हैं की इस द्वार की ऊँचाई उतनी है जितनी मूर्ति की ऊँचाई है | विष्णु भगवान ने अपना पहला कदम तिरुमाला पहाड़ों के सबसे ऊँचे शिकार पदालू पर रखा था | उसके बाद अगला कदम इस द्वार पर और तीसरा कदम जहाँ मूर्ति स्थापित है वहां रखा था |