विराध राम और लक्ष्मण को दंडक वन में मिला था | वह वहां के मुनियों को तकलीफ देता था | उसको ये वर प्राप्त था की वह किसी अस्त्र से मर नहीं सकता | राम और लक्षमण ने उसको घायल तो कर दिया पर मार न सके | ऐसे में राम ने उसको गड्ढे में दफ़नाने का फैसला किया | लक्ष्मण ने एक बाधा गड्ढा खोदा और राम ने उस राक्षस के सर पर पैर रखकर उसे गड्ढे में दाल दिया | विराध असल में तुम्बरू नाम का गन्धर्व था जिसे कुबेर ने राक्षस बना दिया था | अब श्री राम की कृपा से वह सब प्रकार के दोषों से मुक्त हो गया था |