उसका दूसरा नाम इन्द्रजीत भी था क्यूंकि उसने इंद् के ऊपर विजय प्राप्त की थी |वह बहुत मायावी था और युद्ध में भी उसने माया का बहुत इस्तेमाल किया | जब वह पैदा हुआ था उसने मेघों की तरह गर्जन किया था इसलिए उसको मेघनाद कहा जाने लगा | वह रावन के सब पुत्रों में से सबसे शक्तिशाली था |अपनी युवावस्था में उसने शुक्राचार्य संग मिल शिव की आराधना की | इससे उसे दिव्य रथ, दिव्यास्त्र और तामसी माया हासिल हुई | उसकी मौत लक्ष्मण के हाथों हुई | जब वह मरा तो लक्ष्मण का तीर उसके सर को काफी दूर तक लेकर चला गया था |