धर्मपुर में विश्वानर नाम के साधू अपनी पत्नी शुचिश्मती के साथ रहते थे | दोनों के संतान न थी  | एक दिन शुचिश्मती ने आपने पति से पुत्र प्राप्ति का वार माँगा | अपनी पत्नी की इच्छा पूर्ण करने के लिए विश्वानर ने काशी में शिव के वीरेश लिंग  की साधना शुरू की | कुछ दिनों बाद वहां उन्हें शिव के रूप में एक बालक वहां दिखाई दिया | उस बालक ने उनके घर जन्म लेने का वादा किया | इसके कुछ ही दिनों बाद शुच्श्मती के गर्भ से पुत्र पैदा हुआ जिसका नाम ब्रह्मा ने गृहपति रखा |

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