समुद्र मंथन जब हुआ तो शिव ने सारा विष पी लिया | लेकिन जब अमृत बाहर आया तो उसका पान सभी देवताओं ने किया | इस पर देवताओं को लगने लगा की वह अमर हैं और उनके बराबर कोई नहीं | शिव ने तब यक्ष अवतार लिया और सभी देवताओं से आपने द्वारा प्रकट किया गया तिनका हिलाने को कहा | जब सभी देवता ऐसा करने में असमर्थ रहे तो आकाशवाणी हुई की ये यक्ष शिव ही हैं | तब सभी देवताओं का घमंड टूटा और वह शिव से माफ़ी मांगने लगे |