भीष्म और शिखंडी की दुश्मनी तो पिछले जन्म से चलती आ रही थी | जब युद्ध शुरू हुआ तो भीष्म को कौरवों का सेनापति घोषित किया गया | अपनी युद्ध कला में भीष्म तो बहुत निपुण थे ही | उन्होनें जल्दी ही पांडव सेना में त्राहि त्राहि मचा दी | हैरान परेशान हो पांडव रात में उनसे मिलने गए और पूछा की उनकी म्रत्यु कैसे हो सकती है | तब उन्होनें बताया की वह किसी औरत पर अस्त्र नहीं उठाएंगे | ये जानकारी पांडवों के लिए काफी थी | अगले ही दिन उन्होनें अर्जुन के साथ शिखंडी को रथ में सवार कर दिया | क्यूंकि शिखंडी जन्म से औरत था इसलिए भीष्म ने उस पर अस्त्र नहीं उठाया |अर्जुन ने उन्हें अपने बाणों से घायल कर डाला |