अम्बरीश विष्णु के भक्त थे | एक बार वह निर्जला एकादशी का अपना व्रत तोड़ने बैठे थे की तभी ऋषि दुर्वासा के आने की खबर आती है | अम्बरीश उन्हें पहले व्रत तोड़ने के लिए खाना समर्पित करते हैं | लेकिन दुर्वासा कहते हैं की वह स्नान करके ही व्रत खोलेंगे | स्नान से लौटने में उन्हें बहुत समय लगता है | ऐसे में अम्बरीश सोच में पड़ जाते हैं की कहीं व्रत खोलने का समय न निकल जाए | अपने गुरुओं के कहने पर वह अपना व्रत खोल लेते हैं | दुर्वासा जब लौटते हैं तो वह क्रोध में आकर अम्बरीश पर राक्षसी छोड़ देते हैं | अम्बरीश शांति से बैठ कर विष्णु को याद करने लगते हैं | जैसी ही राक्षसी उनके पास आती है विष्णु सुदर्शन चक्र छोड़ उसको मार देते हैं | अब सुदर्शन चक्र दुर्वासा के पीछे पड़ जाता है | दुर्वासा पहले स्शिव के पास जाते हैं पर शिव उन्हें विष्णु से माफ़ी मांगने को कहते हैं | तब माफ़ी मांगने पर विष्णु अपने क्रोध को शांत कर चक्र को वापस ले लेते हैं |