अश्वत्थामा की कहानी से कौन अपरिचित है | गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र अश्वत्थामा एक बहुत ही तेजस्वी योद्धा थे | लेकिन उनकी एक गलती ने उनके पूरे भविष्य को बदल दिया | असल में अपने पिता के मौत का बदला लेने के लिए अश्वत्थामा ने रात में जाकर द्रौपदी के सभी पुत्रो और उनके भाई को मौत के घाट उतार दिया | जब बाकि लोग वहां पहुंचे तो अश्वत्थामा ने वंश को पूर्ण रूप से समाप्त करने के लिए उत्तरा के पेट में पल रहे अभिमनुय के पुत्र पर ब्रह्मास्त्र छोड़ दिया | ऐसे में कृष्ण ने उस ब्रह्मास्त्र का असर तो काट दिया लेकिन उनके गुस्से से अस्वत्थामा को कोई बचा न सका |
कृष्ण ने अश्वत्थामा को ये श्राप दिया की वह अमर हो इस पृथ्वी पर भटकते रहेंगे | यही नहीं कृष्ण ने उनके माथे पर लगी मणि भी निकाल ली और कहा की ये घाव अब कभी भी ठीक नहीं होगा | इसमें से सदा खून और मवाद निकलता रहेगा | तुम चाहे इसका जो इलाज कर लो तुम्हें आराम कभी हासिल नहीं होगा | यह सजा तुम्हारे कर्मों का फल है |