ऐसा बताते हैं की सिकंदर युद्ध निति में बहुत निपुण था | उसके द्वारा युद्ध में अपनाई गयी अलग अलग नीतियाँ अच्छे अच्छे शत्रुओं के लिए चिंता विषय बन जाती थीं |उसकी इन युद्ध नीतियों का ज़िक्र आज भी यूरोप की किताबों में पाया जाता है |उसने आग और पत्थर के गोले फेंकने वाले गुलेल के आकार में बने हथियार देख कर दुश्मन स्वयं ही हार मान लेते थे |उसने अपने सैनिकों को बढ़ी बढ़ी ढालें दी थीं जिनसे कोई उनको नुकसान न पहुंचा सके |जब भी सिकंदर को लगता था की उसकी सेना हार रही है तो वह स्वयं सामने आके युद्ध करने लगता था जिससे उसकी सेना का मनोबल बढ़ता था |