साल 326 इसा पूर्व में सिकंदर ने भारत पर हमला किया | सबसे पहले उसका सामना हुआ तक्षशिला के राजकुमार अम्भी से जिसने शीघ्र हार मान सिकन्दर से हाथ मिला लिया |अम्भी द्वारा सिकंदर को काफी दौलत भेंट की गयी | ये देख सिकंदर हैरान हो गया | अगर एक छोटे से राज्य के पास इतनी दौलत है तो सम्पूर्ण भारत के पास कितनी दौलत होगी ये सोच सिकंदर परेशान हो गया | तक्षशिला के एक आचार्य चाणक्य से ये सब देखा नहीं गया | उसने सभी राजाओ से आग्रह किया की वह हाथ मिला लें और सिकंदर का डट कर सामना करें | लेकिन आपसी दुश्मनी के कारण कोई भी राजा दुसरे के साथ सहयोग करने को तैयार नहीं हुआ |चाणक्य ने मगध के राजा धनानंद से भी मदद के लिए कहा लेकिन उसने चाणक्य की बैज्ज़ती कर उसे वहां से भेज दिया | ऐसे में फिर चाणक्य ने छोटे गणराज्यों से इकट्ठे होने की कहा | वह उसकी बात मान गए और उन सब ने मिलकर सिकन्दर को आगे चल काफी क्षति पहुंचाई |