ब्रह्मगुप्त ने नकरात्मक संख्याओं के लिए भी कई नए नियम अपनी किताब में लिखे |वह सकरात्मक अंकों को लाभ और नकरात्मक अंकों को हानि की तरह बताते थे |वह कुछ इस तरह से नियम लिखते थे “शून्य में से लाभ घटा दो तो हानी मिलता है” या फिर “शून्य में से हानी घटाओ तो लाभ मिलता है”|दूसरा नियम वोही है जो हमें स्कूल में पढाया जाता है की “नकरात्मक संख्याओं को घटाना सकरात्मक संख्याओं को जोड़ने जैसा है |ब्रह्मगुप्त ने ये भी लिखा था की “हानि और लाभ का गुणा करने से नकरात्मक अंक ही मिलेगा |यूरोप के गणितज्ञ नकरात्मक संख्याओं को मान्यता नहीं देना चाहते थे |उनके मुताबिक नकरात्मक संख्याओं का कोई वजूद नहीं है | संख्या गिनती करने के लिए बनायीं गयी हैं और नकरात्मक संख्याओं से कुछ भी नहीं गिना जा सकता |भारतीय और चाइना के गणितज्ञ इस बात को हानि के माध्यम से समझ गए थे | मसलन अगर आपके पास 7 गायें हैं जो उसने गिरवी रख राखी हैं तो कायदे इसे उसके पास -7 गायें हैं |