रखल दास की ख़ुशी का कोई ठिकाना नहीं था | उसने जल्दी ही अपनी खोज की जानकारी अपने बॉस को दी | लेकिन उसे कोई जवाब नहीं मिला | 1918-1922 के बीच उसने 5 बार खुदाई की और हर की जानकारी अपने बॉस को भेजी | लेकिन आश्चर्यजनक बात है की उसे कोई जवाब नहीं मिला | 1924 में उसने मोहेंजो दारो के ऊपर अपनी आखिरी रिपोर्ट लिखी जिसके जवाब में उसे एक अभिस्वीकृति भी नहीं मिली |