क्यूंकि मार्शल इतना अच्छा बॉस था उसने रखल दास को इस शहर की असली उम्र पता करने का श्रेय तो प्रदान किया | किताब की शुरुआत में एक पंक्ति में रखल दास का नाम लिखा हुआ है | सारी भारतीय पाठ्यपुस्तकों में एक फूट नोट में रखल का ज़िक्र लिखा है जबकि जॉन मार्शल की तारीफ में बहुत सारी बातें लिखी हैं | लेकिन इन सब बातों में एक चीज़ विशेष कर दुखदायी है और वो है की सर जॉन मार्शल ने कभी मोहनजोदड़ो के दर्शन किये हों इसका कोई सबूत कहीं भी नहीं है |