विशाखा कुंड से थोड़ी ही दूर पर स्थित हैं बिहारी जी महाराज का प्राकट्य स्थान |ऐसी मान्यता है की संगीत सम्राट स्वामी हरिदास श्री बहुत तल्लीनता से स्वामी जी के भजन गाया करते थे |ऐसे में एक दिन प्रभु ने प्रसन्न हो उनको स्वप्न में दर्शन दिया | भगवान ने कहा की जहाँ तुम समाधी करते हो वहीँ के समीप विशाखा कुंड के पास में छुपा हुआ हूँ |उस सपने के आधार पर बाबा ने ज़मीन खोद कर मूर्ति बाहर निकाल ली |इसी स्थान पर बिहारी जी का प्राकट्य स्थल बना दिया गया है | समय आने पर इस मूर्ति को बांके बिहारी मंदिर में स्थानांतरित कर दिया गया |