प्रिये ! आई शरद लो वर!

घर्षिता है वीचिमाला

मुखों से कारण्डवों के

तीर भू आकुल हुई

कलहंस और सारस कुलों से

कमल के मकरंद से

आरक्त शैविलिनी मनोहर

हंस रव से जन हृदय में

प्रीति को जाग्रत रही कर
प्रिये ! आई शरद लो वर!
Comments
Please join our telegram group for more such stories and updates.telegram channel