उद्यापन सामग्री -
• खीर या नैवेद्य का भोग
• श्रीफल( नारियल)
• वैभव लक्ष्मी व्रत कथा की पुस्तक (7 या 11 या 21 या 51)
• 7, 11, 21 या 51 सौभाग्यवती स्त्रियाँ
• अन्य सामग्री प्रतिदिन शुक्रवार की पूजा के अनुसार
व्रत के आखरी शुक्रवार को जो शास्त्रीय विधि अनुसार उद्यापन विधि करनी चाहिये । आखरी शुक्रवार को खीर या नैवेध का भोग बनायें । पूजन विधि हर शुक्रवार की तरह हीं करनी चाहिये । पूजन विधि के बाद श्रीफल( नारियल) फोड़ें और कम से कम सात कुंवारी या सौभाग्यशाली स्त्रियों को कुमकुम का तिलक करके “वैभव लक्ष्मी व्रत कथा” की पुस्तक के साथ उपहार दें और सब को खीर का प्रसाद देना चाहिये । फिर धनलक्ष्मी स्वरूप, वैभवलक्ष्मी स्वरूप, मॉं लक्ष्मीजी की छवि को प्रणाम करे । मॉं लक्ष्मीजी का यह स्वरूप वैभव देने वाला है । प्रणाम करके मन ही मन भावुकता से माँ की प्रार्थना करते वक्त कहे कि, 'हे माँ धनलक्ष्मी! हे माँ वैभवलक्ष्मी! यदि मैने सच्चे ह्रदय से आपका वैभवलक्ष्मी व्रत' पूर्ण किया है । तो हे माँ! हमारी (जो मनकामना की हो वह बोलो) पूर्ण करो । हमारा सबका कल्याण करो । जिसे संतान न हो उसे संतान देना । सौभाग्यशाली स्त्री का सौभाग्य अखंड रखना । कंवारी लड़की को मनभावन पति देना । आपका यह चमत्कारी वैभवलक्ष्मी व्रत जो करे उनकी सब विपत्ति दूर करना । सब को सुखी करना । हे माँ! आपकी महिमा अपरंपार है।' इस तरह माँ की प्रार्थना करके माँ लक्ष्मीजी का 'धनलक्ष्मी स्वरूप' को भाव से वंदन करें ।'