In the last tidbits, I promised to give you another prayer to devi (the goddess), also from “Chandi”, part of the Markandeya Purana.  This is so famous that you will immediately recognize it.  This is a prayer by the gods to the goddess, just after Mahishasura has been killed.  This is so simple and so obvious that I am going to handle the translation a little bit differently. No proper translation is needed.  Instead, I will put in a few words in English when I think they are needed.  Note that all of this is in chaturthi and that many of these are names of the goddess.  If necessary, you can look up a dictionary to see what these mean.

नमो देव्यै महादेव्यै शिवायै सततं नमः।

प्रकृत्यै भद्रायै नियता: (in a disciplined way) प्रणताः स्म ताम्॥

रौद्रायै नमो नित्यायै गौर्यै धात्र्यै नमो नमः।

ज्योतस्नायै चेन्दुरूपिण्यैः (च+इन्दुरूपिण्यैः) सुखायैः सततं नमः॥

कल्याण्यै प्रणताः वृद्ध्यै सिद्ध्यै कुर्मो नमो नमः।

नैरॄत्यै भूभृतां (of the kings) लक्षम्यै (prosperity) शर्वाण्यै ते नमो नमः॥

दुर्गायै दुर्गपारायै सारायै सर्वकारिण्यै।

ख्यात्यै तथैव (तथा+एव) कृष्णायै धूम्रायै सततं नमः॥

अतिसौम्यातिरौद्रायै (अतिसौम्या+अतिरौद्रायै) नतास्तस्यै (नताः+तस्यै) नमो नमः।

नमो जगत्प्रतिष्ठायै देव्यै कृत्यै नमो नमः॥

या देवि सर्वभूतेषू (in all beings) विष्णुमायेति (विष्णुमाया+इति) शब्दिता (invoked)।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवि सर्वभूतेषू चेतनेत्यभिधीयते (चेतना (consciousness) +इति+अभिधीयते (spoken of)।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवि सर्वभूतेषू बुद्धिरूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवि सर्वभूतेषू निद्रारूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवि सर्वभूतेषू क्षुधारूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवि सर्वभूतेषू छायारूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवि सर्वभूतेषू शक्तिरूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवि सर्वभूतेषू तृष्णारूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवि सर्वभूतेषू क्षान्तिरूपेण (in the form of forgiveness) संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवि सर्वभूतेषू जातिरूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवि सर्वभूतेषू लज्जारूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवि सर्वभूतेषू शान्तिरूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवि सर्वभूतेषू श्रद्धारूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवि सर्वभूतेषू कान्तिरूपेण (in the form of beauty) संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवि सर्वभूतेषू लक्ष्मीरूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवि सर्वभूतेषू वृत्तिरूपेण (in the form of subsistence) संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवि सर्वभूतेषू स्मृतिरूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवि सर्वभूतेषू दयारूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवि सर्वभूतेषू तुष्टिरूपेण (in the form of satisfaction) संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवि सर्वभूतेषू मातृरूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

या देवि सर्वभूतेषू भ्रान्तिरूपेण (in the form of confusion) संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

इन्द्रियाणामधिष्ठात्री (इन्द्रियाणाम+अधिष्ठात्री) (the one who oversees the senses)भूताणां चाखिलेषु (च+अखिलेषु) या।

भूतेषु सततं तस्यै व्याप्तिदेव्यै (the goddess who pervades) नमो नमः॥

चितिरूपेण या कृत्स्नमेतद् (कृत्स्नम्+एतद्) (all this) व्याप्य स्थिता जगत्।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

 

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