जिंदगी

जिंदगी सरकती है 
आहिस्ता - आहिस्ता
खुशियों के तोहफे देकर
और ग़मो के साये देकर ।
बिन धुप के छाया की
परिभाषा नहीं ।
बिन ग़म के , खुशियों की 
आशा नहीं ।
जितनी जिन्दादिली
से हम खुश होते है ।
क्यों ना उतनी जिन्दादिली 
से गम को जिए ।

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