करे है बादा[1], तेरे लब से, कसब-ए-रंग-ए-फ़ुरोग़[2]
ख़त-ए-प्याला[3] सरासर निगाह-ए-गुल-चीं[4] है
कभी तो इस दिल-ए-शोरीदा[5] की भी दाद[6] मिले
कि एक उ़मर से हसरत-परसत-ए-बालीं[7] है
बजा[8] है गर न सुने नाला-ए-बुलबुल-ए-ज़ार[9]
कि गोश-ए-गुल[10] नम-ए-शबनम[11] से पम्बा-आगीं[12] है
'असद' है नज़अ़[13] में चल बे-वफ़ा बरा-ए-ख़ुदा[14]
मक़ाम-ए-तरक-ए-हिज़ाब-ओ-विदा-ए-तमकीं[15] है
शब्दार्थ: