Bookstruck
साहिल
/ कविता १
Facebook
Whatsapp
Telegram
बड़े दिनों से ठहरा हुआ है पानी मेरी आँखों का,
कोई बांध कहीं फिर से टूटा है किसी की उम्मीदों का ||
Please join our telegram group for more such stories and updates.