श्री शनि शिंगणापुर में प्रविष्ट होने के बाद भक्त के मन में पूजन-अर्चन , अभिषेक करने की तीव्र अभिलाषा जाग्रत होती है | अत: यहाँ देवस्थान की ओर से नजदीक ही अभिषेक की व्यवस्था का प्रबंधन भक्त की इच्छा शक्तिपार निर्भर है | यहाँ शनि की साढ़े-साती जप-तप , कुण्डली याग आदि करवा लेते है |
१ ) २३००० मंत्रो का |
२ ) ९२००० मंत्रो का |
यह सब भक्त पर निर्भर करता है कि , अपनी साढ़ेसाती , अनिष्ट ग्रह शनिपीढा समाप्त करने के लिए करे या न करे | वह मानसिक रूप से तय कर सकता है , यहाँ कोई भी ऐसे करने के लिए जबरदस्ती नही करते है , न देवस्थान ! न पंडितजी !!