लोगों की हंसी करने की आदत है। रामायण के पुष्पक विमान की बात सुन कर लोग जो नही समझते थे, वे हंसी किया करते थे, जब तक स्वयं रामेश्वरम के दर्शन नही करें, तब तक पत्थर भी पानी में तैर सकते हैं, विश्वास ही नही होता, लेकिन जब रामकुन्ड के पास जाकर उस पत्थर के दर्शन किये और साक्षात रूप से पानी में तैरता हुआ पाया तो सिवाय नमस्कार करने के और कुछ समझ में नही आया। जब भगवान श्री कृष्ण का बंशी बजाता हुआ एक पैर से खडा हुआ रूप देखा तो समझ में आया कि विद्वानों ने शनि देव के बीज मंत्र में जो (शं) बीज का अच्छर चुना है, वह अगर रेखांकित रूप से सजा दिया जाये तो वह और कोई नही स्वयं शनिदेव के रूप मे भगवान श्री कृष्ण ही माने जायेंगे.यह सिद्ध पीठ कोसी से छ: किलोमीटर दूर और नन्द गांव से सटा हुआ कोकिला वन है, इस वन में द्वापर युग में भगवान श्री कृष्ण जो सोलह कला सम्पूर्ण ईश्वर हैं, ने शनि को कहावतों और पुराणों की कथाओं के अनुसार दर्शन दिया, और आशीर्वाद भी दिया कि यह वन उनका है, और जो इस वन की परिक्रमा करेगा, और शनिदेव की पूजा अर्चना करेगा, वह मेरी कृपा की तरह से ही शनिदेव की कृपा प्राप्त कर सकेगा.और जो भी जातक इस शनि सिद्ध पीठ के प्रति दर्शन, पूजा पाठ का अन्तर्मुखी होकर सद्भावना से विश्वास करेगा, वह भी शनि के किसी भी उपद्रव से ग्रस्त नही होगा.यहां पर शनिवार को मेला लगता है। जातक अपने अपने श्रद्धानुसार कोई दंडवत परिक्रमा करता है, या कोई पैदल परिक्रमा करता है, जो लोग शनि देव का राजा दशरथ कृत स्तोत्र का पाठ करते हुए, या शनि के बीज मंत्र का जाप करते हुये परिक्रमा करते हैं, उनको अच्छे फ़लों की शीघ्र प्राप्ति हो जाती है।

Comments
Please join our telegram group for more such stories and updates.telegram channel

Books related to शनि देव 2


चिमणरावांचे चर्हाट
नलदमयंती
सुधा मुर्ती यांची पुस्तके
झोंबडी पूल
सापळा
अश्वमेध- एक काल्पनिक रम्यकथा
श्यामची आई
गांवाकडच्या गोष्टी
खुनाची वेळ
लोकभ्रमाच्या दंतकथा
मराठेशाही का बुडाली ?
कथा: निर्णय
मृत्यूच्या घट्ट मिठीत
पैलतीराच्या गोष्टी
शिवाजी सावंत